माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय । एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय ॥ माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर । कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर ॥ सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख में करते याद । कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥ बुरा जो देखन में चला, बुरा ना मिलया कोई, जो मन खोजा आपना तो मुझ से बुरा ना कोई साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय । मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥ जाती ना पूछो साधु की, पूछ लीजिये ग्यान मोल करो तलवार की पड़ी रेहेन जो मयान. |
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